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बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2645
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 हिन्दी गद्य : सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?' निबन्ध का सारांश लिखिए।

उत्तर —

प्रस्तावना - प्रस्तुत निबन्ध भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी के द्वारा दिसम्बर 1884 में बलिया के ददरी मेले के अवसर पर आर्य देशोपकारणी सभा में भाषा देने के लिखा गया है। लेखक कहते हैं कि आज का दिन बड़ी खुशी का है, जब मैं इतने अपार जनसमूह को उत्साह के साथ एक स्थान पर एकत्र देखता हूँ।

उचित दिशा-निर्देश का अभाव - भारतेन्दु जी कहते हैं कि यह देश का बड़ा दुर्भाग्य है कि भारतवासियों में विविध गुणों तथा योग्यता होने के बाद भी, सही नेतृत्व के अभाव में वे उन्नति नहीं कर सके हैं। हमारे देश के लोगों को रेलगाड़ी की संज्ञा दी जा सकती है, जिस प्रकार रेलगाड़ी में ऊँचे किराए तथा सामान्य किराए के डिब्बे लगे रहते हैं परन्तु इंजन के अभाव में वे स्थिर खड़े रहते उसी प्रकार भारत के लोग उच्च व मध्यम श्रेणी के विद्वान, वीर एवं शक्ति सम्पन्न लोग है, परन्तु नेतृत्वहीनता के कारण वे अपनी उन्नति नहीं कर पाते। यदि कोई मार्गदर्शक भारतीयों को बल, पौरुष और ज्ञान का स्मरण दिला सके, तो वे कठिन से कठिन तथा बड़ा-से-बड़ा कार्य आसानी से कर सकते हैं। जिस प्रकार जाम्बवान् ने हनुमान जी को उनका बल याद दिलाया था। हिन्दुस्तानी राजा, महाराजा तथा हाकिमों को तो अपने भोग विलास से समय ही नहीं मिलता। सरकारी अफसरों को तो हजारों काम होते हैं जो समय बचता है उसमें वे सोचते हैं कि गन्दे व्यक्तियों से मिलकर व्यर्थ समय क्यों नष्ट किया जाए। आर्य जब भारत आए थे तब भी भारत की उन्नति का दायित्व राजा तथा ब्राह्मणों का था। परन्तु भारत का दुर्भाग्य इन्हीं लोगों को निकम्मेपन ने घेर रखा है।

निकम्मापन - लेखक कहते हैं कि आज सम्पूर्ण भारतीय समाज को निकम्मेपन ने घेर रखा है और इनको अपनी इस पिछड़ी दशा पर लज्जा का अनुभव भी नहीं होता। इन्हीं के पूर्वजों ने मिट्टी की झोपड़ियों में बैठकर पेड़-पौधों के नीचे अध्ययन कर बिना साधनों तथा यन्त्रों के केवल बाँस की नलिकाओं के द्वारा नक्षत्र - मण्डल एवं सौर परिवार का इतना सूक्ष्म अध्ययन किया कि विदेशों में लाखों रुपए की लागत से बनने वाली दूरबीनों की मदद से किया गया अध्ययन और हमारे पूर्वजों द्वारा किया गया अध्ययन समान रूप से सत्य प्रतीत होते हैं। हमारी अकर्मण्यता हमें पीछे धकेल रही है।

उन्नति के लिए प्रयासरत - आज वैज्ञानिक युग में उन्नति की दिशा में बढ़ना आसान है। अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस आदि प्रत्येक देश के नागरिक अपनी-अपनी उन्नति के लिए प्रयास कर रहे हैं। सभी उन्नति के शिखर पर पहले पहुँचना चाहते हैं। यहाँ तक कि जापानी लोग भी अपनी उन्नति के लिए प्रयत्नशील है। ऐसी स्थिति में हम भारतवासी अपने स्थान पर खड़े होकर पैरों में मिट्टी खोद रहे हैं। यह उन्नति का समय है इसमें जो पीछे रह जाएगा वह कोटि उपाय करने पर भी आगे नहीं बढ़ सकेगा। ऐसा प्रतीत हो रहा है, जैसे लूट का माल बिखरा पड़ा है और हमने आँखों पर पट्टी बाँध ली हो अथवा वर्षा हो रही है और हम छाता लगाने के कारण वर्षा का आनन्द नहीं ले पा रहे हैं।

मनुष्य जीवन की दुर्लभता - लेखक ने भागवत् के श्लोक का उदाहरण देते हुए कहा है कि भगवान कहते हैं कि मनुष्य जन्म बड़ा कठिनता से प्राप्त होता है, उसके मिलने पर गुरु की कृपा और मेरी अनुकूलता पाकर भी जो मनुष्य इस संसार सागर के पार न जाय उसको आत्महत्यारा कहना चाहिए। ऐसी ही स्थिति इस समय हिन्दुस्तान की है। लेखक कहता है कि यदि भारतवासियों से कार्य करने के लिए कहा जाए तो वे कहते हैं कि हमें तो पेट के धंधे के कारण छुट्टी ही नहीं मिलती, हम क्या उन्नति करें। तुम्हारा पेट भरा हुआ है इसलिए तुमको दूर की सूझती है। लेकिन भारतवासियों को जानना चाहिए कि इंग्लैण्ड का पेट भी कभी यों ही खाली था, उसने एक हाथ से अपने पेट को भरा, तथा दूसरे हाथ से अपने उन्नति के काँटे साफ किए।

 

 

अकर्मण्यता - विदेशी लोग अपने खेतों को जोतते तथा बोते समय भी यह सोचते हैं कि वे क्या नया करें, जिससे पैदावार दुगुनी हो जाए। वहाँ के गाड़ी के कोचवान भी खाली समय में अखबार पढ़कर समय का सदुपयोग करते हैं जबकि भारत अपने खाली समय को आलस्य, अकर्मण्यता और बेवजह की बकवास में बिता देते हैं। विदेशी लोग अपने क्षणमात्र समय को भी बर्बाद नहीं करना चाहते। इसके विपरीत भारत में निकम्मेपन को अमीर समझा जाता है। आज भारत में चारों तरफ देखने पर काम न करने वाले दिखाई पड़ते हैं। जिनका कोई रोजगार नहीं है। काम नहीं है तो खर्च करने के लिए पैसे भी नहीं है। ऐसे लोगों की पंक्ति लम्बी है जिनके पास काम है, मगर वे करना नहीं चाहते। किसी ने ठीक ही कहा है कि दरिद्र व्यक्ति की दशा बिल्कुल वैसी है जैसी लज्जाहीन बहू, कपड़े फटे होने के कारण अपने अंगों को उनसे छुपाने का प्रयास करती है। ऐसी दशा ही हिन्दुस्तानियों की भी है।

जनसंख्या में वृद्धि - जनगणना के अनुसार यहाँ जनसंख्या बढ़ रही है तथा रुपया कम हो रहा है। अब बिना रुपया बढ़ाए काम नहीं चलेगा। तुम इसके लिए किसी चमत्कार की आशा छोड़कर स्वयं ही तैयार हो जाओ, कब तक स्वयं को जंगली, हूस, मूर्ख, बोदे जैसे उपमानों से पुकरावाओगे। तुम इस उन्नति की दौड़ में दौड़ो, अगर अबकी बार पीछे रह गए तो रसातल में ही पहुँच जाओगे। अगर तुम लोग अब भी स्वयं को न सुधारों तो तुम ही रहो। तुम ऐसा सुधार करो जिससे सब तरफ उन्नति हो। जो बातें तुम्हारे मार्ग में बाधा बने उनको छोड़ दो। चाहे तुम्हें इसके लिए लोग कुछ भी कहे। जो लोग देश का हित चाहते हैं उन्हें अपने सभी प्रकार के सुख, धन और सम्मान का बलिदान करने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए। देश की उन्नति के लिए सबसे पहले उन बाधाओं और बुराईयों का पता लगाना होगा, जिनके कारण हमारा विकास अवरुद्ध हो गया है। देश की उन्नति में बाधा पहुँचाने वाले इन सभी तत्त्वों को नष्ट करना होगा, तभी देश की उन्नति सम्भव है।

उन्नति के लिए प्रयास - यदि हमें अपने देश में किसी भी प्रकार की उन्नति करनी है तो हमारे सभी कार्य धर्म के अनुसार होने आवश्यक हैं। इसलिए हमें सबसे पहले धर्म की उन्नति करनी चाहिए। भारतेन्दु जी ने अंग्रेजों की नीति का उदाहरण देकर स्पष्ट किया है कि अंग्रेजों की धर्मनीति और राजनीति परस्पर मिली है। इस कारण वे लगातार उन्नति करते जा रहे हैं। हमारे यहाँ धर्म की आड़ में विविध प्रकार की नीति, समाज गठन आदि भरे हुए हैं। ये उन्नति का मार्ग प्रशस्त नहीं करते। इसलिए धर्म की उन्नति से सभी प्रकार की उन्नति संभव है। लेखक ने त्यौहारों को म्युनिसिपालिटी बताया है जिनके द्वारा घर, शरीर तथा वातावरण शुद्ध हो जाते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया है कि होली की अग्नि से वसंत की बिगड़ी हवा स्वच्छ हो जाती है, दीवाली के बहाने घर की सफाई हो जाती है तथा एकादशी का व्रत करने से शरीर शुद्ध हो जाता है। भारतेन्दु जी कहते हैं कि हमारे देश में प्रचलित त्यौहार, व्रत, नियम, आदि समाज-धर्म है। परन्तु बदलती हुई परिस्थितियाँ और समय के अनुसार इनमें भी परिवर्तन की आवश्यकता है।

प्राचीन नियमों का महत्त्व - हमारे पूर्वजों ने जो नियम बनाए थे, उनका आशय न समझ उन्हीं की उत्तराधिकारी पीढ़ी ने अपनी सुविधा और स्वार्थपूर्ति के लिए मनमाने नियम और धर्म बना लिए हैं। ऐसे सभी नियमों और धर्मों के पुनर्निरीक्षण की आवश्यकता है, जिससे सच्चाई की पहचान की जा सके। ऋषि-मुनियों ने नियमों और धर्मों को क्यों बनाया है इसकी हमें वैज्ञानिक खोज करनी चाहिए और उनमें से जो बातें हमारे समाज और देश के लिए उपयोगी हो उन्हें ग्रहण कर लेना चाहिए। जिनको छोड़ने की आवश्यकता है उन्हें छोड़ देना चाहिए। सभी जातियों के लोग ऊँच-नीच छोड़कर भाईचारे से रहे। भारतेन्दु जी कहते हैं कि हम अपने उपभोग की सामान्य वस्तु भी स्वयं निर्मित करने का प्रयास नहीं करते। हम अमेरिका में बनी धोती पहनते हैं, अंगा इंग्लैण्ड का तथा कंघी फ्रांस की प्रयोग करते हैं। छोटी-छोटी वस्तुओं के लिए आत्मनिर्भर होने के लिए हमें अपने आत्मविश्वास को बढ़ाना होगा। भारतेन्दु जी भारतीयों में स्वदेशी की भावना को बल देते हुए कहते हैं कि एक बार इज्जत का ख्याल न रखने वाले एक महाशय एक महफिल में किसी के कपड़े पहनकर चले गए तथा उनके कपड़ों को पहचान लिया। इस पर भारतेन्दु जी ने दुःख जताते हुए कहा है कि आज भारतीय इतने अकर्मण्य और परालम्बी हो गए हैं कि हम दैनिक उपयोग की वस्तु का भी निर्माण नहीं कर सकते। अपने देश को स्वावलम्बी राष्ट्र बनाने के लिए स्वदेशी वस्तुओं और अपनी भाषा का प्रयोग करना होगा। विदेशी भाषा और वस्तुओं पर अपनी निर्भरता को समाप्त करना होगा। तभी भारतवर्ष की उन्नति सम्भव है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आदिकाल के हिन्दी गद्य साहित्य का परिचय दीजिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी की विधाओं का उल्लेख करते हुए सभी विधाओं पर संक्षिप्त रूप से प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- हिन्दी नाटक के उद्भव एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- कहानी साहित्य के उद्भव एवं विकास को स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- हिन्दी निबन्ध के विकास पर विकास यात्रा पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- 'आत्मकथा' की चार विशेषतायें लिखिये।
  8. प्रश्न- लघु कथा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  9. प्रश्न- हिन्दी गद्य की पाँच नवीन विधाओं के नाम लिखकर उनका अति संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  10. प्रश्न- आख्यायिका एवं कथा पर टिप्पणी लिखिये।
  11. प्रश्न- सम्पादकीय लेखन का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- ब्लॉग का अर्थ बताइये।
  13. प्रश्न- रेडियो रूपक एवं पटकथा लेखन पर टिप्पणी लिखिये।
  14. प्रश्न- हिन्दी कहानी के स्वरूप एवं विकास पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रेमचंद पूर्व हिन्दी कहानी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- नई कहानी आन्दोलन का वर्णन कीजिये।
  17. प्रश्न- हिन्दी उपन्यास के उद्भव एवं विकास पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  18. प्रश्न- उपन्यास और कहानी में क्या अन्तर है ? स्पष्ट कीजिए ?
  19. प्रश्न- हिन्दी एकांकी के विकास में रामकुमार वर्मा के योगदान पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  20. प्रश्न- हिन्दी एकांकी का विकास बताते हुए हिन्दी के प्रमुख एकांकीकारों का परिचय दीजिए।
  21. प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि डा. रामकुमार वर्मा आधुनिक एकांकी के जन्मदाता हैं।
  22. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए।
  23. प्रश्न- हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का योगदान बताइये।
  24. प्रश्न- निबन्ध साहित्य पर एक निबन्ध लिखिए।
  25. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' के आधार पर जीवनी और संस्मरण का अन्तर स्पष्ट कीजिए, साथ ही उनकी मूलभूत विशेषताओं की भी विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- 'रिपोर्ताज' का आशय स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- आत्मकथा और जीवनी में अन्तर बताइये।
  28. प्रश्न- हिन्दी की हास्य-व्यंग्य विधा से आप क्या समझते हैं ? इसके विकास का विवेचन कीजिए।
  29. प्रश्न- कहानी के उद्भव और विकास पर क्रमिक प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- सचेतन कहानी आंदोलन पर प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- जनवादी कहानी आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
  32. प्रश्न- समांतर कहानी आंदोलन के मुख्य आग्रह क्या थे ?
  33. प्रश्न- हिन्दी डायरी लेखन पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- यात्रा सहित्य की विशेषतायें बताइये।
  35. अध्याय - 3 : झाँसी की रानी - वृन्दावनलाल वर्मा (व्याख्या भाग )
  36. प्रश्न- उपन्यासकार वृन्दावनलाल वर्मा के जीवन वृत्त एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- झाँसी की रानी उपन्यास में वर्मा जी ने सामाजिक चेतना को जगाने का पूरा प्रयास किया है। इस कथन को समझाइये।
  38. प्रश्न- 'झाँसी की रानी' उपन्यास में रानी लक्ष्मीबाई के चरित्र पर प्रकाश डालिये।
  39. प्रश्न- झाँसी की रानी के सन्दर्भ में मुख्य पुरुष पात्रों की चारित्रिक विशेषताएँ बताइये।
  40. प्रश्न- 'झाँसी की रानी' उपन्यास के पात्र खुदाबख्श और गुलाम गौस खाँ के चरित्र की तुलना करते हुए बताईये कि आपको इन दोनों पात्रों में से किसने अधिक प्रभावित किया और क्यों?
  41. प्रश्न- पेशवा बाजीराव द्वितीय का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  42. अध्याय - 4 : पंच परमेश्वर - प्रेमचन्द (व्याख्या भाग)
  43. प्रश्न- 'पंच परमेश्वर' कहानी का सारांश लिखिए।
  44. प्रश्न- जुम्मन शेख और अलगू चौधरी की शिक्षा, योग्यता और मान-सम्मान की तुलना कीजिए।
  45. प्रश्न- “अपने उत्तरदायित्व का ज्ञान बहुधा हमारे संकुचित व्यवहारों का सुधारक होता है।" इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
  46. अध्याय - 5 : पाजेब - जैनेन्द्र (व्याख्या भाग)
  47. प्रश्न- श्री जैनेन्द्र जैन द्वारा रचित कहानी 'पाजेब' का सारांश अपने शब्दों में लिखिये।
  48. प्रश्न- 'पाजेब' कहानी के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
  49. प्रश्न- 'पाजेब' कहानी की भाषा एवं शैली की विवेचना कीजिए।
  50. अध्याय - 6 : गैंग्रीन - अज्ञेय (व्याख्या भाग)
  51. प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर अज्ञेय द्वारा रचित 'गैंग्रीन' कहानी का विवेचन कीजिए।
  52. प्रश्न- कहानी 'गैंग्रीन' में अज्ञेय जी मालती की घुटन को किस प्रकार चित्रित करते हैं?
  53. प्रश्न- अज्ञेय द्वारा रचित कहानी 'गैंग्रीन' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
  54. अध्याय - 7 : परदा - यशपाल (व्याख्या भाग)
  55. प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से 'परदा' कहानी की समीक्षा कीजिए।
  56. प्रश्न- 'परदा' कहानी का खान किस वर्ग विशेष का प्रतिनिधित्व करता है, तर्क सहित इस कथन की पुष्टि कीजिये।
  57. प्रश्न- यशपाल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  58. अध्याय - 8 : तीसरी कसम - फणीश्वरनाथ रेणु (व्याख्या भाग)
  59. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
  60. प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
  61. प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- हीराबाई का चरित्र चित्रण कीजिए।
  63. प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- 'तीसरी कसम' उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
  66. प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- हीराबाई को हीरामन का कौन-सा गीत सबसे अच्छा लगता है ?
  68. प्रश्न- हीरामन की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए?
  69. अध्याय - 9 : पिता - ज्ञान रंजन (व्याख्या भाग)
  70. प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है? स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
  73. अध्याय - 10 : ध्रुवस्वामिनी - जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग)
  74. प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक का कथासार अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।
  75. प्रश्न- नाटक के तत्वों के आधार पर ध्रुवस्वामिनी नाटक की समीक्षा कीजिए।
  76. प्रश्न- ध्रुवस्वामिनी नाटक के आधार पर चन्द्रगुप्त के चरित्र की विशेषतायें बताइए।
  77. प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी नाटक में इतिहास और कल्पना का सुन्दर सामंजस्य हुआ है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  78. प्रश्न- ऐतिहासिक दृष्टि से ध्रुवस्वामिनी की कथावस्तु पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी' नाटक का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  80. प्रश्न- 'धुवस्वामिनी' नाटक के अन्तर्द्वन्द्व किस रूप में सामने आया है ?
  81. प्रश्न- क्या ध्रुवस्वामिनी एक प्रसादान्त नाटक है ?
  82. प्रश्न- 'ध्रुवस्वामिनी' में प्रयुक्त किसी 'गीत' पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  83. प्रश्न- प्रसाद के नाटक 'ध्रुवस्वामिनी' की भाषा सम्बन्धी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  84. अध्याय - 11 : दीपदान - डॉ. राजकुमार वर्मा (व्याख्या भाग)
  85. प्रश्न- " अपने जीवन का दीप मैंने रक्त की धारा पर तैरा दिया है।" 'दीपदान' एकांकी में पन्ना धाय के इस कथन के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
  86. प्रश्न- 'दीपदान' एकांकी का कथासार लिखिए।
  87. प्रश्न- 'दीपदान' एकांकी का उद्देश्य लिखिए।
  88. प्रश्न- "बनवीर की महत्त्वाकांक्षा ने उसे हत्यारा बनवीर बना दिया। " " दीपदान' एकांकी के आधार पर इस कथन के आलोक में बनवीर का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  89. अध्याय - 12 : लक्ष्मी का स्वागत - उपेन्द्रनाथ अश्क (व्याख्या भाग)
  90. प्रश्न- 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी की कथावस्तु लिखिए।
  91. प्रश्न- प्रस्तुत एकांकी के शीर्षक की उपयुक्तता बताइए।
  92. प्रश्न- 'लक्ष्मी का स्वागत' एकांकी के एकमात्र स्त्री पात्र रौशन की माँ का चरित्रांकन कीजिए।
  93. अध्याय - 13 : भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
  94. प्रश्न- भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?' निबन्ध का सारांश लिखिए।
  95. प्रश्न- लेखक ने "हमारे हिन्दुस्तानी लोग तो रेल की गाड़ी हैं।" वाक्य क्यों कहा?
  96. प्रश्न- "परदेशी वस्तु और परदेशी भाषा का भरोसा मत रखो।" कथन से क्या तात्पर्य है?
  97. अध्याय - 14 : मित्रता - आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (व्याख्या भाग)
  98. प्रश्न- 'मित्रता' पाठ का सारांश लिखिए।
  99. प्रश्न- सच्चे मित्र की विशेषताएँ लिखिए।
  100. प्रश्न- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की भाषा-शैली पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  101. अध्याय - 15 : अशोक के फूल - हजारी प्रसाद द्विवेदी (व्याख्या भाग)
  102. प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'अशोक के फूल' के नाम की सार्थकता पर विचार करते हुए उसका सार लिखिए तथा उसके द्वारा दिये गये सन्देश पर विचार कीजिए।
  103. प्रश्न- आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'अशोक के फूल' के आधार पर उनकी निबन्ध-शैली की समीक्षा कीजिए।
  104. अध्याय - 16 : उत्तरा फाल्गुनी के आसपास - कुबेरनाथ राय (व्याख्या भाग)
  105. प्रश्न- निबन्धकार कुबेरनाथ राय का संक्षिप्त जीवन और साहित्य का परिचय देते हुए साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
  106. प्रश्न- कुबेरनाथ राय द्वारा रचित 'उत्तरा फाल्गुनी के आस-पास' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  107. प्रश्न- कुबेरनाथ राय के निबन्धों की भाषा लिखिए।
  108. प्रश्न- उत्तरा फाल्गुनी से लेखक का आशय क्या है?
  109. अध्याय - 17 : तुम चन्दन हम पानी - डॉ. विद्यानिवास मिश्र (व्याख्या भाग)
  110. प्रश्न- विद्यानिवास मिश्र की निबन्ध शैली का विश्लेषण कीजिए।
  111. प्रश्न- "विद्यानिवास मिश्र के निबन्ध उनके स्वच्छ व्यक्तित्व की महत्वपूर्ण अभिव्यक्ति हैं।" उपरोक्त कथन के संदर्भ में अपने विचार प्रकट कीजिए।
  112. प्रश्न- पं. विद्यानिवास मिश्र के निबन्धों में प्रयुक्त भाषा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  113. अध्याय - 18 : रेखाचित्र (गिल्लू) - महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
  114. प्रश्न- 'गिल्लू' नामक रेखाचित्र का सारांश लिखिए।
  115. प्रश्न- सोनजूही में लगी पीली कली देखकर लेखिका के मन में किन विचारों ने जन्म लिया?
  116. प्रश्न- गिल्लू के जाने के बाद वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
  117. अध्याय - 19 : संस्मरण (तीन बरस का साथी) - रामविलास शर्मा (व्याख्या भाग)
  118. प्रश्न- संस्मरण के तत्त्वों के आधार पर 'तीस बरस का साथी : रामविलास शर्मा' संस्मरण की समीक्षा कीजिए।
  119. प्रश्न- 'तीस बरस का साथी' संस्मरण के आधार पर रामविलास शर्मा की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  120. अध्याय - 20 : जीवनी अंश (आवारा मसीहा ) - विष्णु प्रभाकर (व्याख्या भाग)
  121. प्रश्न- विष्णु प्रभाकर की कृति आवारा मसीहा में जनसाधारण की भाषा का प्रयोग किया गया है। इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  122. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' अथवा 'पथ के साथी' कृति का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  123. प्रश्न- विष्णु प्रभाकर के 'आवारा मसीहा' का नायक कौन है ? उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
  124. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' में समाज से सम्बन्धित समस्याओं को संक्षेप में लिखिए।
  125. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' में बंगाली समाज का चित्रण किस प्रकार किया गया है ? स्पष्ट कीजिए।
  126. प्रश्न- 'आवारा मसीहा' के रचनाकार का वैशिष्ट्य वर्णित कीजिये।
  127. अध्याय - 21 : रिपोर्ताज (मानुष बने रहो ) - फणीश्वरनाथ 'रेणु' (व्याख्या भाग)
  128. प्रश्न- फणीश्वरनाथ 'रेणु' कृत 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज का सारांश लिखिए।
  129. प्रश्न- 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज में रेणु जी किस समाज की कल्पना करते हैं?
  130. प्रश्न- 'मानुष बने रहो' रिपोर्ताज में लेखक रेणु जी ने 'मानुष बने रहो' की क्या परिभाषा दी है?
  131. अध्याय - 22 : व्यंग्य (भोलाराम का जीव) - हरिशंकर परसाई (व्याख्या भाग)
  132. प्रश्न- प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई द्वारा रचित व्यंग्य ' भोलाराम का जीव' का सारांश लिखिए।
  133. प्रश्न- 'भोलाराम का जीव' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
  134. प्रश्न- हरिशंकर परसाई की रचनाधर्मिता और व्यंग्य के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
  135. अध्याय - 23 : यात्रा वृत्तांत (त्रेनम की ओर) - राहुल सांकृत्यायन (व्याख्या भाग)
  136. प्रश्न- यात्रावृत्त लेखन कला के तत्त्वों के आधार पर 'त्रेनम की ओर' यात्रावृत्त की समीक्षा कीजिए।
  137. प्रश्न- राहुल सांकृत्यायन के यात्रा वृत्तान्तों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  138. अध्याय - 24 : डायरी (एक लेखक की डायरी) - मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
  139. प्रश्न- गजानन माधव मुक्तिबोध द्वारा रचित 'एक साहित्यिक की डायरी' कृति के अंश 'तीसरा क्षण' की समीक्षा कीजिए।
  140. अध्याय - 25 : इण्टरव्यू (मैं इनसे मिला - श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी) - पद्म सिंह शर्मा 'कमलेश' (व्याख्या भाग)
  141. प्रश्न- "मैं इनसे मिला" इंटरव्यू का सारांश लिखिए।
  142. प्रश्न- पद्मसिंह शर्मा कमलेश की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
  143. अध्याय - 26 : आत्मकथा (जूठन) - ओमप्रकाश वाल्मीकि (व्याख्या भाग)
  144. प्रश्न- ओमप्रकाश वाल्मीकि के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालते हुए 'जूठन' शीर्षक आत्मकथा की समीक्षा कीजिए।
  145. प्रश्न- आत्मकथा 'जूठन' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
  146. प्रश्न- दलित साहित्य क्या है? ओमप्रकाश वाल्मीकि के साहित्य के परिप्रेक्ष्य में स्पष्ट कीजिए।
  147. प्रश्न- 'जूठन' आत्मकथा की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  148. प्रश्न- 'जूठन' आत्मकथा की भाषिक-योजना पर प्रकाश डालिए।

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